दोस्त भी मिल जाते है,
फेसबुक वाले like पे,
व्हाट्सअप की स्माइल पे,
ट्विटर की following में,
भारत जबसे Digital india हुआ है,
दोस्ती भी डिजिटल हो चली है,
ऐसे दोस्त
स्कूल की बदमाशियां,
चाय की चुस्कियां,
फुरसत वाली चहलक़दमियाँ,
शायद नहीं बांट पाते,
मगर ख्यालों का ख्याल रखना समझते है,
मन के भारी होने पर डांट देते है,
अकेलापन तो वो भी बांट लेते है,
दोस्ती डिजिटल हुई तो क्या,
फिक्र तो दिल से ही होती है
रिश्ते की शुरुआत मायने नहीं रखती,
जज़्बात के मायने मुक्कमल होने चाहिए,
Digital हो या real दोस्ती को,
निभाने की दोतरफी नीयत चाहिए
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