चाँद के साथ टहलने निकलें
वो सितारों में अकेला,
मैं हज़ारो में अकेला,
रात के आखिरी पहर तक,
देते है एक दूजे का साथ
चल चाँद मैं तुझे सुनाऊँ
अपने दिल की बात
तू भी कह देना अपने जज़्बात,
कैसे अंधेरे में रोशनी बिखेर,
अनगिनित सितारों के बीच,
जब तू सफर तय करता है
शून्य से पूर्ण होने का
क्या तेरा मन नहीं होता,
कहीं ठहरने का,
सम हो जाने का भाव
चल फिर मिलते है आज रात
वाह क्या बात है
ReplyDeleteEk poet se jyada imagination koi ni kr sakta ...such a nice lines. Thanks to share
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