Wednesday, May 8, 2019

अर्धसत्य

अर्धसत्य

सही है अगर सत्य कहना,
तो बुरा झूठ में भी क्या है,

सच से अगर टूटे हौसला तो,
झूठी तस्सली से दिल बहला
लेने में भी बुरा कहाँ है

आंखों के खारे पानी में,
या अधरों की फरेबी मुस्कान में,
सही गलत का चयन क्या है

हदों में बंधा नीरसता सिंचित जीवन,
हदों के बाहर नए सपनों की उड़ान,
ऐसे बेहद हो जाने में गिला क्या है

पत्थर सा जड़वत सब सहते जाना, या
किसी संतराश के हाथ से तराश दिए जाना,
हर चोट पर आंसू बहाने में भला कहाँ है

गुमान

चंद सिक्के जमा करके
ये महल जो तुमने बनाये है,

ज़माना दाद देगा, यही सोच कर खूब इतराए हैं,
ज़रा याद रखें वह भी
इसी ज़माने ने कई सिकंदर खाली हाथ लौटाए है

खुदाई का गुमान गर हो तो सोचना पलभर,
ज़माने में बादशाह
तुमसे भी पहले ज़माने कई आये है

शहंशाहों ने लगाए हो भला अम्बार दौलत के,
मुरादों वाले दिए
आंगन में फकीरों के ही जगमगाये है

Friday, May 3, 2019

हौंसला

माना मैं नहीं हूँ बड़ा
फिर भी किया है ये फैसला
हौसले के पंख बना
उड़ना है मुझे उस दिशा
छूना है वो आसमान
बना है जो मेरे लिए

आँखों में आँखे डालके
रार हर उलझन से ठानके
अपने गगन की तलाश में
उम्मीदों की परवाज़ में
छूना है वो आसमान
बना है जो मेरे लिए