अर्धसत्य
सही है अगर सत्य कहना,
तो बुरा झूठ में भी क्या है,
सच से अगर टूटे हौसला तो,
झूठी तस्सली से दिल बहला
लेने में भी बुरा कहाँ है
आंखों के खारे पानी में,
या अधरों की फरेबी मुस्कान में,
सही गलत का चयन क्या है
हदों में बंधा नीरसता सिंचित जीवन,
हदों के बाहर नए सपनों की उड़ान,
ऐसे बेहद हो जाने में गिला क्या है
पत्थर सा जड़वत सब सहते जाना, या
किसी संतराश के हाथ से तराश दिए जाना,
हर चोट पर आंसू बहाने में भला कहाँ है
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