माना मैं नहीं हूँ बड़ा
फिर भी किया है ये फैसला
हौसले के पंख बना
उड़ना है मुझे उस दिशा
छूना है वो आसमान
बना है जो मेरे लिए
आँखों में आँखे डालके
रार हर उलझन से ठानके
अपने गगन की तलाश में
उम्मीदों की परवाज़ में
छूना है वो आसमान
बना है जो मेरे लिए
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