चंद सिक्के जमा करके
ये महल जो तुमने बनाये है,
ज़माना दाद देगा, यही सोच कर खूब इतराए हैं,
ज़रा याद रखें वह भी
इसी ज़माने ने कई सिकंदर खाली हाथ लौटाए है
खुदाई का गुमान गर हो तो सोचना पलभर,
ज़माने में बादशाह
तुमसे भी पहले ज़माने कई आये है
शहंशाहों ने लगाए हो भला अम्बार दौलत के,
मुरादों वाले दिए
आंगन में फकीरों के ही जगमगाये है
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