माना की तू मुझसे थोड़ी रूठी है ज़िन्दगी
तेरी मुझसे और मेरी तुझसे कुछ अलग है बेरुखी
फिर भी मत मिल मुझे नार हठीली की तरह
कभी आके मिल मुझे सखी सजीली की तरह
तेरी मुझसे और मेरी तुझसे कुछ अलग है बेरुखी
फिर भी मत मिल मुझे नार हठीली की तरह
कभी आके मिल मुझे सखी सजीली की तरह
मेरी चाहत को भी वो मुकाम दे
मेरे इबादत को भी अंजाम दे
मेरे दर्द को अब कुछ आराम दे
कभी तो बन जा माँ की गोद की तरह
मेरे इबादत को भी अंजाम दे
मेरे दर्द को अब कुछ आराम दे
कभी तो बन जा माँ की गोद की तरह
थोडा मुझे संभाल ले, थोडा मुझे संवार दे
मेरी बेपरवाहियों को कुछ नज़रअंदाज़ कर
मेरी खामोशियों को अल्फ़ाज़ों से सराबोर कर
बज जा किसी तान सुरीली की तरह
ज़्यादा तुझसे कभी कुछ माँगा नहीं
नामुमकिन तेरे लिए भी कुछ नहीं
ज़िन्दगी तेरे इम्तहानों को थोडा थाम ले
सज जा सपनों की किसी गली रंगीली की तरह
नामुमकिन तेरे लिए भी कुछ नहीं
ज़िन्दगी तेरे इम्तहानों को थोडा थाम ले
सज जा सपनों की किसी गली रंगीली की तरह