Thursday, September 5, 2019

ताल्लुक सुधार ले

तू खुद से खुद का ताल्लुक सुधार ले,
मंज़िलें तेरी होंगी ज़रा हौंसले से काम ले,

उदासियों से सफ़र आसान किसका हुआ,
चेहरे पे एक लकीर हँसीं की डाल लें

माना की आड़े खड़े कुछ ऊंचे पर्वत है
उनको पार करते जा कुछ कंकड़ मान के

चीथड़ों पर भी पैबंद उम्मीदों के लगा के
धूल जो पड़ी है वस्त्र पर वह झाड़ ले

जगाती है तुझे जो बेचैनियां हर रात
बना उन्हीं की शस्त्र और नई धार दे

आक्रोश को शत्रु नहीं आमात्य ले बना
साथ ले उसे, वक़्त से रार ठान ले

याद रख के वास्ता तेरा एक तुझी से है,
कर्तव्यपथ में जो अड़े, उसे उखाड़ दे

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